दीन ए इस्लाम मे इंसान की जिंदगी का सबसे हकीकत भरा लम्हा वो होता है जब उसकी मौत आती है जिस वक्त उसके शरीर से उसकी रूह जुदा की जाती है ये एक एसा लम्हा होता है के इस वक्त की तकलीफ,
हालत और कैफियत को समझना इंसान के लिए आसान नहीं, ये अल्लाह पाक ने जाहीर नहीं किया है और जिसकी रूह निकलती है वही जानता है इस वक्त कैसी हालत होती है ।
आपने देखा होगा जब रूह निकलती है तो किसी की आंखे खुली रह जाती है, किसी का मुह खुला रह जाता है किसी के कान टेड़े पड़ जाते है लेकिन कुछ एसे भी होते है जिनके चेहरों पर सुकून दिखता है मुस्कुराहट नजर आने लगती है ।
रूह कहते किसको है ?
हकीकत मे रूह अल्लाह की अमानत है जो हजरतए इंसान के शरीर मे डाली जाती है एक मुद्दत के लिए और कुरान मे रब कहता है, “और ये लोग तुमझे रूह के बारे मे पूछते है, कह दीजिए: रूह मेरे रब के हुक्म से है, और तुम्हें बस थोड़ा सा इल्म दिया गया है।” ( सूरह बनी इसराइल आयत 85)
मेरे अजीजों रूह इंसान की असल पहचान है जब तक रूह जिस्म मे रहती है, इंसान जिंदा रहता है और जब रूह निकल जाती है जिस्म मिट्टी बन जाता है और फिर उसी मिट्टी की हम-आप कब्रिस्तान मे दफन कर आते है ।
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जिस्म मे से रूह कैसे निकलती है?
जिसके जितने अच्छे आमाल उसकी उतनी आसानी से रूह कब्ज की जाती है और जिसके जितने ज्यादा बुरे आमाल उसकी उतनी ही सख्ती और दर्द भरे तरीके से रूह कब्ज की जाती है अब इन दोनों को अलग-अलग तरीके से समझते है ।
(a) नेक, परहेजगार और ईमानदार लोगों की रूह एसे निकाली जाती है
ये वो लोग होते है जिनको अल्लाह पाक इनामों से नवाजेगा ये वो लोग होते है जिनके होने से दुनिया वाले खुश रहे इन्होंने रब की इबादात के साथ उसकी मखलुक की खिदमत भी की और दीन ए मुस्तफा करीम की तबलीग मे भी आगे बढ़ कर हिस्सा लिया एसे लोगों की रूह के लिए हदीसो मे आता है के,
- जब मोमिन की रूह निकलती है तो एसे जैसे पानी के बर्तन से एक बूंद आसानी से बाहर निकल आये । (सहीह मुस्लिम),
- फ़रिश्ते सफेद रश्मि कपड़े मे आते है, उस रूह को सलाम करते है और उसे जन्नत की खुशबू सुनाते है।
- रूह को बहुत इज्जत से ले जाया जाता है और फिर उसे अल्लाह के हुज़ूर पेश किया जाता है।
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(02) मुशरीक और गुनाहो की वादियों मे गम लोगों की रूह एसे निकलती है

एसे लोग जो दीन से दूर रहे जिन्होंने अल्लाह के रसूलो को ठुकराया और बुरे काम किये और बिना तौबा किये या बिना ईमान लाए मौत आ गई तो एसे लोगों के लिए भी हदीसो मे कुछ आया है आइए जानते है,
- जैसे काँटों भरे कपड़े को ऊन मे डाला जाए और जब खीचा जाए तो सब कुछ फट जाए। (सहीह मुस्लिम)
- मौत के फिरिश्ते गुस्से मे आते है और कहते है, ” ए गंदी रूह, निकल अपने जिस्म से! “
- उस रूह को बहुत तकलीफ के साथ खीचा जाता है और उसे जहन्नम की खबर दे दी जाती है ।
मौत के वक्त अल्लाह का क्या हुक्म होता है?
मेरे अजीजों रूह जब तक नहीं निकलती जब तक अल्लाह का हुक्म नहीं होता है और हर एक इंसान की मौत पहले से तय है जैसे के कुरान मे आया है, “हर जान को मौत का मजा चखना है।”(सूरह अ’कबूत आयत 57)
अभी जब हम सब हयात है तो अल्लाह पाक ने मानो हमारी जिंदगी की रस्सी को ढील दी हुई है जिस वक्त ये रस्सी खिची जाएगी सारी दुनिया वालों की मुहब्बत फीकी पड़ जाएगी, मकान, बीवी बच्चे और घर वाले-बाहर वाले, रिश्तेदार फोन पर सबसे पहले ये ही पूछेंगे के मिट्टी कितने बजे और कौनसी नमाज के बाद लगेगी !
ये अल्लाह की कुदरत है के जैसे ही जिस्म से रूह को जुदा करता है तो फौरन ही उसका नाम लेकर नहीं पुकारते लोग बल्कि मिट्टी कहकर पुकारते है इससे इबरत हासिल करनी चाहिए हम सबको और राहे हक पर सख्ती के चाल चलना चाहिए ।
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रूह की तकलीफ कितनी और सकरातुल मौत क्या है?
जिस वक्त रूह निकलने वाली होती है उस वक्त इंसान स्करात मे होता है यानि के बेहोशी और दर्द की हालत मे और यहा भी शैतान ए लईन अपना आखिरी वार करने चला आता है और कहता है के तू मुझे खुदा मान ले मै तेरी परेशानी-दर्द दुर कर दूंगा,
तो जिनका ईमान कमजोर होगा वो लोग यहा अपना सब कुछ खो देते है और जैसे ही कहते है तुझको खुदा माना वेसे ही उसको जहन्नम रशीद कर दिया जाता है।
लेकिन इस वक्त चाहिए के घर वाले उसके पास सूरह यासीन की तिलावत करे और जिक्र ए खुदा करे दुरूद शरीफ पढे, उसके लिए दुआ करे और उसकी औलाद, घर वाले उसके पास रहे ।
हमे क्या करना चाहिए अब ?
हमे हर वक्त मौत की तैयारी करते रहना चाहिए इससे कभी गाफिल नहीं होना चाहिए और अपनी जिंदगी मे नमाजों की पाबंदी के साथ पिछली कजा नमाजों का हिसाब लगा कर उनको शुरू कर देना चाहिए ।
अल्लाह के हुज़ूर तौबा करना चाहिए और उसका शुक्र अदा करना चाहिए घर वालों के हुकूक अदा करने चाहिए, माँ-बाप, बीवी-बच्चे और भाई-बहिन सबके हुकूक अदा करने के साथ उनको खुश रखने और उनकी नेक रास्ते पर लेकर चलने की कोशिश करनी चाहिए ।
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खुलासा ए कलाम ये है
मेरे अजीजों रूह का निकलना इंसान की सबसे अहम हकीकत है और नेक लोग इसे रहमत बनाते है लेकिन अफसोस गुनहागार लोग इसे अजाब बना लेते यही और इस दुनिया की रंग-रौनक मे फसकर अपनी कब्र से हश्र तक और हश्र की बाद की जिंदगी भी बर्बाद कर लेते है ।
याद रखे मौत हकीकत मे एक पुल है जो मोमिन को उसक रब से मिलाने वाला बनता है और इस पर हर एक को चलना ही है अब ये आपके आमाल होंगे जो या तो गिरा देंगे या पार करा देंगे ।
अल्लाह पाक हम सबको नेकियों वाली तवील जिंदगी अता करे और शैतान की चालों से बचने की तौफीक अता करता रहे .. आमीन