इस्लामी तालीमात मे घर को सुकून और रहमत की जगह बतायी गई है लेकिन जब इंसान अल्लाह पाक के हुक्मों के खिलाफ जाता है, तो फिर घरों मे सुकून नहीं बल्कि झगड़े, एक दूसरे से नफरत और बे वजा गुस्सा आम हो जाता है ।
आइए जानते है के कुरान ए मजीद और हदीस शरीफ की रौशनी मे घरों मे झगड़े की क्या-क्या वजह होती है जिनमे से ये 8 वजह सबसे ज्यादा अहम है अगर हम इन कमियों को दूर करले तो फिर जन्नत सुकून बल्कि जन्नत के बागों मे से एक बाग बन सकता है ।
(01) जबान का गलत इस्तेमाल ( बदतमीजी और तौहीन )
हदीस शरीफ मे आता है के, ” मुसलमान वो है जिसकी जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहे । ( सहीह बुखारी ) ” लेकिन आज के इस दौर मे सबसे ज्यादा गुनाह किसी वजह से हो रहे है तो वो है जबान । कई बार बे वजह की तल्ख जबान, ताना देना,
और दूसरों की बेजती करने से दिलों मे नफरत भर जाती है हुज़ूर नबी ए रहमत ने इसके तालुक से इरशाद फरमाया था जिसका मफ़हून है के तुम अपनी जबान और शर्म गाह की हिफाजत जमानत देदो फिर जन्नत की जमानत मै देता हूँ इससे मालूम हुआ के जबान किस कदर गुनाह का सबब बनती है ।
(02) तकवा (परहेजगारी) की कमी
कुरान ए मजीद मे अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है, ” और अल्लाह से डरो और जान लो के अल्लाह हर चीज को जानता है । ” ( सूरह अल-बकरा 2:231) जब घर के अफराद ( लोग ) अल्लाह पाक से डरना छोड़ देते है,
तो उनके अंदर सब्र, माफ करने की आदत और नेकी का जज्बा खत्म होने लगता है और जब माफ करने की आदत नहीं रहेगी और छोटी-छोटी गलतियों पर ताना कसी होगी तो इससे फकत घर मे कलेश ही होगा इसलिए अपने अंदर तकवा लाए, दिल को कुशादा करे ।
(03) दुनियावी तंगदस्ती या हुस्न-ए-मुआशरत (अच्छे सुलूक) की कमी
कुरान मे अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है के, ” तुम्हारे माल और औलाद तो तुम्हारे लिए आजमाइश है… ” ( सूरह अल-अनफाल 8:28) तंगहाली, बेरोजगारी या किसी एक का घर की जिम्मेदारी न उठाना भी लड़ाई-झगड़े की एक वजह है ।
कहते है के काम वो करो जो करने वाले है और अगर करने वाले काम नहीं करोगे तो वो काम करोगे जो शैतान चाहता है और इसीलिए कहा गया के खाली दिमाग शैतान का घर है इसलिए आप कुछ न कुछ खैर वाले काम करे, फिर चाहे वो रोजगार से तालुक हो या दीनी एतबार से ।
(04) गुस्से पर काबू न करना
हदीस मे आता है के, ” मजबूत वो नहीं जो कुश्ती मे दूसरे को गिरा दे बल्कि असली मजबूत वो है जो गुस्से के वक्त खुद को काबू मे रखे । (सहीह बुखारी) मेरे अजीजों गुस्सा हकीकत मे शैतान का खास हथियार है।
जब इंसान गुस्से मे आता है, तो वो एसे अलफाज बोल देता है या एसी हरकत कर देता है जो रिश्ते को तोड़ सकती है इसलिए गुस्से वाले इंसान को शैतान का करीबी कहा गया लिहाजा हमे चाहिए के अगर गुस्सा आए तो दुरूद शरीफ पढ़ले इंशा अल्लाह गुस्सा उतर जाएगा ।
(05) रिश्तेदारों की बेवजह दखल अंदाजी
आज के दौर मे माएके या सुसराल वालों की बेजा दखल अंदाजी घर मे फसाद की वजह बन जाती है और दीन ए इस्लाम मे हर एक रिश्ते की एक अजमत होती है एक हद होती है ,

लेकिन जब कोई इन हदों को पार करता है फिर चाहे मर्द हो या खातून घर मे कलेश होता ही है इसलिए हर एक को चाहिए के अल्लाह पाक ने जिसके हक मे जितनी हदे रखी है वो वही तक महदूद रहे न ज्यादा आगे बड़े और न ही ज्यादा पीछे हटे ।
(06) शक और बदगुमानी करना
अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” ए ईमान वालों ! बहुत से गुमानों से बचो, बेशक कुछ गुमान गुनाह है । ” (सूरह अल-हुजुरत 49:12) मेरे अजीजों शक दिलों को तोड़ देता है ।
और भरोसे को खत्म कर देता है कई बार बिना सबूत के इल्जाम लगाना घर के माहौल को जहर बना देता है और शैतान की चालों मे से एक चाल है इसलिए ज्यादा शक करने के वजाय अपनी और घर वालों की इसलाह पर ध्यान दे वो भी नरमी से मुहब्बत भरे अंदाज मे ।
(07) घर मे दीनी तालीमात से दूरी
हदीस मे आता है के, ” तुम मे से सबसे बेहतरीन वो है जो अपने घरवालों के लिए बहतरीन हो । ” (सहीह तिरमिजी) तो मेरे प्यारो जब घर के लोग नमाज, कुरान और इस्लामी तालीमात से दूर हो जाते है,
तब फिर शैतान उस घर मे दखल अंदाजी करने लगते है और घर वालों के दिलों मे जहनों मे एक दूसरे के लिए हसद, बुगज और नफरते पैदा करता है इसको रोकने के लिए दीन की तालीम का घरों मे होना लाजिम होता है ।
(08) शैतानी असर और नजर-ए-बद
हदीस शरीफ मे आता है के, ” बेशक शैतान इंसान के साथ हर एक चीज मे दखल देता है, यहा तक के खाना खाने और सोने मे भी । ” (सहीह मुस्लिम) इसलिए जिस घर मे कुरान की तिलावत, अजान और अल्लाह का जिक्र बंद हो जाए
तो शैतान वहा वसवसे और झगड़े पैदा करता है तो हम सबको चाहिए के शैतान के खिलाफ जिक्र ए खुदा करके उसको मुह तौड़ जवाब दिया जाए और अपने रब से ईमान पर खातिमा की दुआ भी किया करे ।
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इनका हल क्या है ?
- सबसे पहले माफ करने की आदत डाले
- मोबाईल फोन को साइड मे रख कर आपसी बातचीत का माहौल बनाए
- हुज़ूर नबी ए रहमत ﷺ की सुन्नतों पर चले
- नमाजों की पाबंदी करे
- कुरान की तिलावत करे
- सुबह-शाम और रात दुआ करते रहे
- गुस्सा आते ही वुजू करले