मेरे अजीजों किसी ने कहा है के, जिंदगी यू तो पैदा होने से लेकर कब्र तक का ही एक मरहला है लेकिन मै चाहता हूँ की कुछ लम्हे लौट आया करे जिन लम्हों मे मै अपने रब को राजी न कर सका वो लम्हे लौट आये और वो वक्त लौट आये जिस वक्त मेरे अंदर पुर जोर कूवत रही ।
और एक तरफ किसी ने लिखा है के, “जिंदगी के लम्हे लौट कर नहीं आएंगे, बस यादों की चादर मे सिसकते रह जायेगे! ” इस लिए अल्लाह पाक ने जितना भी वक्त दिया है खुश होकर जिए जिसमे आपकी इबादत हो, एक-दूसरे से मुहब्बत हो, बड़ों का अदब हो, छोटो पर शफकत हो ।
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जिंदगी की रफ्तार इतनी तेज हो चली है के हम अक्सर वो लम्हे खोने लगे है जो असल मे सबसे कीमती होते है जैसे के बीमार की इयादत करने जाना फकत इयादत की नियत से जाना उसमे घूमने-फिरने की नियत न हो, अपने खास भाई बहिन की दावत करना हममे से कितने है है जो इस बात पर ध्यान देते है।
काभी सोचा है के जो लम्हा अभी गुजर रहा है वही आने वाले कल की याद बन जाएंगे इसलिए हर एक पल को अल्लाह की राजी करने के लिये नेक नियत के साथ खुश होकर जिओ और अल्लाह की रिजा पर राजी रहो, शिकवे-शिकायत नहीं करो क्योंकि जिंदगी के ये लम्हे लौट के नहीं आएंगे ।
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हा मै मानता हूँ आपके साथ आजमाइश है और तमाम ही मसले है लेकिन ये भी जहन मे रखो के जाब आप रात मे फकत एक बार ये कहते हो या रब्बे तो रब कहता है लब्ब-ए-क मेरे बंदे जबकि तो वो कब तक आपको आजमाइश मे रखेगा यकीनन ये वक्त भी गुजर जाएगा, परेशानी दूर हो जाएंगी लेकिन क्या आप अपने रब को इस वक्त राजी कर रहे हो ये याद बन जाएंगी ।