मेरे अजीजों आज के वक्त मे बहुत सारे लोग ये कहते है के ” जिंदगी मे मज़ा नहीं आ रहा ” हर तरफ उदासी का माहौल बरपा है, दिलों मे बेजारी है और कोई भी काम अब सुकून नहीं देता ।
चाहे माल-दौलत हो, रिश्ते हो या शौक-ख्वाब सब के होते हुए भी अंदर एक खालीपन सा महसूस होता है इसकी क्या वजह है ? आज के इस पोस्ट हम इस बारे मे कुरान और हदीस की रौशनी मे बात करेंगे और जानेंगे इसका हल।
(01) दिल का सुकून फकत अल्लाह की याद मे ही है !
अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है, ” जान लो के दिलों का सुकून सिर्फ अल्लाह की याद मे है । “(सूरह रअद-28) लेकिन जब हम खुद अल्लाह के जिक्र से दूर रहेंगे तो दिलों को चैन कहा मिलेगा ।
मेरे अजीजों हम दुनिया की चीजों मे मजा तलाश करते है – मोबाईल, सोशल मीडिया, एशों आराम लेकिन जो असली मजा है जिसको रूहानी सुकून कहते है वो नहीं मिलता क्योंकि वो फकत अल्लाह के जिक्र मे ही है और ये आपको मिलेगा अल्लाह की याद से, दुरूद शरीफ से, तौबा से, नमाज और कुरान की तिलावत से ।
(02) जिंदगी मे अगर मकसद नहीं तो मजा नहीं
दीन ए इस्लाम हमे जिंदगी का एक साफ और पाक मकसद भरा रास्ता दिखाता है और अल्लाह पाक कुरान ए मजीद की सूरह जारियात की आयत 56 मे इरशाद फरमाता है, ” मैने जिन्नों और इंसानों को सिर्फ इसलिए पैदा किया के वो मेरी इबादत करे। “
लेकिन हमसे से अक्सर लोग अपने इस मकसद को भूल बैठे है और दुनिया की भाग दौड़ मे लग चुके है तो अब जिंदगी मजेदार कैसे रहेगी, जब हजरतए इंसान अपने रब को रानी करने की कोशिश करता है तब ही वो असली मजे का हकदार बनने लगता है ।
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(03) दिल की बेजारी vs गुनाहों का बोझ
अगर किसी की जिंदगी मे बेजारी, परेशानी और मायूसी है तो एक मुमकिन वजह ये भी हो सकती है के वो गुनाहो मे डूबा हुआ हदीस मे आता है के, ” जब इंसान गुनाह करता है, तो उसके दिल पर एक स्याह निशान लग जाता है। “
यानि के हर एक गुनाह दिल को और ज्यादा सख्त करता है और आखिर मे नतीजा ये निकलता है नमाजों मे, नैक और खैर वाले कामों मे मन नहीं लगता है और न ही लज्जत आती है और न ही जिंदगी मे सुकून मिलता है ।
(04) सब्र और शुक्र है सुकून का राज
दीन ए इस्लाम मे 2 चीजों पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है – जब मुसीबत आये तो सब्र करे और जब अल्लाह पाक किसी नेमत से नवाजे तो उस नेमत के लिए अल्लाह पाक का शुक्र अदा करे ।
एसा करने से जिंदगी आसान हो जाती है और जब ये सब्र और शुक्र नहीं होते तो जिंदगी मे बे सुकूनी आ जाती है जिससे फिर छोटी-छोटी बाते भी परेशान कर देती है कुरान मे है, ” बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है। ” ( सूरह बकरा -153)
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(05) नमाजे छोड़ने से सुकून जिंदगी से दूर हो जाता है
हम ही लोगों मे से कई-कई लोग शिकायत करते है के जिंदगी मे चैन नहीं है लेकिन पाँच वक्त की नमाजों की पाबंदी नहीं करते जबकि सुकून नमाजों मे ही है और हदीस मे है कि,
‘जिसने नमाज छोड़ दी, उसके लिए बर्बादी है। ” (मुसनद अहमद) फ़जर की नमाज से आपके चेहरे पर नूर आएगा, जौहर की नमाज आपके रिज्क मे बरकत होगी, असर की नमाज से आपकी शहत अच्छी रहेगी, मगरिब से औलाद नैक निकलेगी और इशा से सुकून की नींद मिलेगी ।
(06) इबादत और जिंदगी का तालुक क्या है?
मेरे अजीजों हमारे और आपके नबी ए करीम ﷺ की जिंदगी का हर एक लम्हा अपनी उम्मत के लिए एक सीख है कोई कहे मेरे साथ कुछ ज्यादा ही आजमाइश दे दी है अल्लाह ने तो वो रसील ए आजम ﷺ की सीरत पढे पता चलेगा हुज़ूर ने अपनी जिंदगी मे हम सबके लिए क्या कुछ नहीं सहा है !
हमे बस अपने नबी ए करीम ﷺ की जिंदगी को फॉलो करने की कोशिश ही करनी है जितनी अच्छी कोशिश होगी उतना ही ज्यादा हमारी जिंदगी मे सुकून रहेगा और सब्र रखे जहा तक हो सके और लोगों को की मदद करे मदद फकत माल से ही नहीं बल्कि अच्छे मशवरे से भी मदद की जा सकती है ।
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नतीजा – खुलासा ए कलाम ये है
अगर आपको भी लग रहा है के जिंदगी मे मजा नहीं आ रहा है तो फिर एक बार अपनी जिंदगी के आमाल के जाएजा जरूर लीजिए – क्या आपकी जिंदगी मे जिक्र ए खुदा कसरत के साथ है ? अगर नहीं तो इन बातों पर ध्यान दीजिए –
- तौबा करते रहे
- नमाज की पाबंदी करे
- कुरान ए मजीद को समझकर पढे
- सच्चे दिल से अल्लाह से दुआ करे
- हर हाल मे शुक्र अदा करते रहे
- मुसीबत आने पर सब्र करे
बस इन्ही कुछ बातों पर अमल करते रहे इंशा अल्लाह आपकी जिंदगी मे सुकून जरूर लौटेगा और खुश हाली आपके घर मे बरपा होगी ।