हर रोज़ 5 बार पुकारती है ‘कब्र’ – मगर सुनता कौन है?

हजरतए उमर बिन अब्दुल अजीज एक जनाजे के साथ कब्रिस्तान तशरीफ़ ले गए, वहा एक कब्र के पास बैठ कर गौरो फिक्र मे डऊब गए, किसी ने अर्ज की: या अमीरल मोमिनीन ! आप यहा तन्हा कैसे तशरीफ़ फरमा है ? फरमाया, ” अभी-अभी एक कब्र ने मुझे पुकार कर बुलाया और बोली,

ए उमर बिन अब्दुल अजीज ! मुझसे क्यों नहीं पूछते कि मै अपने अंदर आने वालों के साथ क्या बर्ताव करती हूँ ? मैने उस कब्र से कहा, मुझे जरूर बता, वो कहन लगी, जब कोई मेरे अंदर आता है तो मै उस का कफन फाड़ कर जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर डाल ती और उस का गोश्त खा जाती हूँ !

क्या आप मुझसे ये नहीं पूछेंगे के मै उसके जोड़ों के साथ क्या करती हूँ ? मैने कहा जरूर बता ! तो कहने लगी, ” हथेलियो को कलाइयो से, घुटनों को पिंडलियो से और पिंडलियो को कदमों से जुदा कर देती हूँ ” इतना कहने के बाद,

जनाबे उमर बिन अब्दुल अजीज हीचकिया लेकर रोने लगे, जब कुछ इफाका हुआ तो कुछ इस तरह इबरत के मदनी फूल लूटाने लगे,

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यहा क्या है, कब तक रहेगा और कहा गए लोग ?

ए इस्लामी भाइयों ! इस दुनिया मे हमे बहुत थोड़ा अरसा रहना है, जो इस दुनिया मे सखत गुनहागार होने के बावुजूद साहिबए इकतिदार है वो आखिरत मे इनतिहाइ जलीलो खवार है, जो इस जहा मे मालदार है, वोह आखिरत मे फकीर होगा, इसका जवान बूढआ हो जाएगा,

और जो जिंदा है वोह मर जाएगा, दुनिया का तुमहारी तरफ आना तुम्हें धोके मे न डाल दे ! क्योंकि तुम जानते हो के ये बहुत जल्द रुखसत हो जाती है, कहा गए तिलावते कुरान करने वाले ? कहा गए बैतुल-अला का हज करने वाले ? खाक ने उनके जिस्म का क्या हाल कर दिया !

कब्र के केए ने उन के गोश्त का क्या अंजाम कर दिया ! उनकी हड्डीया और जोड़ों के साथ क्या हुआ ! अल्लाह पाक की कसम अब वो अपने रब घर वालों और वतन को छोड़ कर राहत के बाद तंगी मे है, उनकी बेवाओ ने दूसरे निकाह करके दुबारा घर बसा लिए, उनकी औलाद गलियों मे दर बदर है,

उनके रिश्तेदारो ने उनके मकानात आपस मे बाट लिए लेकिन अल्लाह पाक की कसम उन्मे से कुछ खुश नसीब एसे भी है जो कब्रों मे मजे लूट रहे है और बाज कब्र मे अजाब मे गिरिफतार है।

कितनी अफसोस की बात है !

अफसोस सद हजार अफसोस ए नादान ! जो आज मरते वक्त कभी अपने वालिद की आंखे बंद कर रहा है, उन्मे से किसी को नहला रहा है, किसी को कफन पहना रहा है, किसी को कब्र के गढए मे उतार रहा है, याद रख कल ये सब तेरे साथ भी होने वाला है,

काश ! मुझे इल्म होता ! कौन सा गया कब्र मे पहले खराब होगा ! फिर हजरतए उमर बिन अब्दुल अजीज रोने लगे और रोते-रोते बे होश हो गए और एक हफ्ते बाद इस दुनिया से तशरीफ ले गए ।

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कब्र रोजाना यो पुकारती है !

हजरतए फकीह अबूलेश नकल फरमाते है कि, कब्र रोजाना पाच मर्तबा ये निदा देती है,

  1. ए आदमी ! तू मेरी पीठ पर चलता है जबकि मेरा पेट तेरी असली जगह है ।
  2. ए आदमी ! तू मुझ पर उम्दा खाने खाता है, अन करीब मेरे पेट मे तुझे कीडे खाएगए ।
  3. ए आदमी ! तू मेरी पीठ पर हसता है अनकरीब मेरे अंदर आ कर रोएगा ।
  4. ए आदमी ! तू मेरी पीठ पर खुशिया मनाता है अनकरीब मुझ मे गमगीन होगा ।

कब्र रोजाना ये करती है पुकार, मुझ मे है कीडे मकोडे बे शुमार !

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