आज के वक्त मे अक्सर देखा जाता है के शादी के कुछ ही हफ्तों बाद ही मिया-बीबी के दरमियान छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होना शुरू हो जाते है और कई बार बीबी को तो कई बार शोहर के दिल पर एक दूसरे की बात इस कदर लगती है के मानो शैतान सवार हो ही गया,
और कई बार तो देखा गया है के आपस मे इतना सख्त रिश्ता बन जाता है मानो एक दूसरे के एब तलाशने के लिए ही शादी की हो और नोबत तलाक तक आ जाती है और कई जगह तो तलाक हो ही जाती है ।
बेशक तलाक देना कोई गुनाह ए कबीरा नहीं लेकिन ये वो अमल है जो जाएज होते हुए भी अल्लाह पाक को सबसे ज्यादा न पसंद है, और मिया-बीबी का वाहिद एक रिश्ता एसा है जो जन्नत तक कायम रहेगा! जी हा अगर अल्लाह के फजल से मिया-बीबी दोनों ही नेक रहे,
और वो अमल किये जिससे रब और रब का हबीब राजी हुआ तो दोनों जन्नत मे भी उसी तरह साथ रहेंगे जैसे दुनिया मे साथ रहा करते थे, इसके लिए आज के पोस्ट मे हम तफसील से जानेंगे के मिया-बीबी के झगड़ों का हल क्या है जिसके जरिए से उनके दरमियान बे शुमार मुहब्बत कायम हो सके!
मिया बीबी के झगड़ों का हल
मेरे अजीजों याद करे जब आप कुवारे होते है तो शैतान किस कदर आपकी नज़रों को बहकाता है और आपके जहनो मे कैसे-कैसे खयालात बरपा करता था लेकिन जब आपका निकाह हो जाता है तब शैतान इन कामों मे मात खाने लगता है,
क्योंकि आपकी फितरत जो अल्लाह पाक ने आपके अंदर रखी हो वो हलाल तरीके से पूरी होने लगती है बस यही शैतान को पसंद नही उसे तो हराम पसंद है फिर वो एसे नहीं तो एसे आपके दरमियान झगड़े करवाता है और कोशिश करता है के
कैसे भी ये मिया बीबी अलग हो जाए ताकि मै दोनों पर दुबारा उसी तरह वार कर सकु कई बार तो कामियाबी मिल जाती है लेकिन जो खवातीन और मर्द हजरात दीन से जुड़े रहते है या उनके दिल मे अल्लाह अपना खौफ और हबीब की मुहब्बत रख देता है
वो जरूर शैतान को पछाड़ देते है अब जानते है कुरान और हदीस की रौशनी मे मिया बीबी के झगड़ों का हल क्या है ? और कौन कौन सी बाते है जिन पर गौर करना चाहिए ।
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कुरान की रौशनी मे हल
(01) एक-दूसरे के साथ मुहब्बत और नेकी से पेश आना अल्लाह पाक कुरान ए मजीद की सूरह निसा मे इरशाद फरमाता है के, ” और उनके साथ अच्छा सलूक करो। ” इस आयत मे अल्लाह पाक अपनी बीबियों के तालुक से इरशाद फरमा रहा है,
इसलिए न फकत बीबी को शोहर से बल्कि शोहर को भी बीबी से अच्छा सुलूक करना चाहिए और जब आप एक दूसरे का अदब करते हो तो रब उस रिश्ते मे मिठास और मजीद पैदा कर देता है इसलिए सबसे पहले बीबी अपने शोहर की इज्जत करे और शोहर भी अपनी बीबी से मुहब्बत से बाते करे।
(02) शैतान पर पलटवार – सिलाह राहमी बरते – जैसा के रब ए कायनात कुरान मजीद की सूरह निसा मे कहता है, ” अगर तुम दोनों के दरमियान झगडे का डर हो, तो एक हाकिम मर्द के घर वालों मे से और एक हाकिम औरत के घर वालों मे से मुकर्रर करे, अगर वो सुलह करना चाहे तो अल्लाह उनके दरमियान मेल कर देगा। “
इससे मालूम हुआ के जब मिया बीबी के दरमियान झगड़ा तेज हो जाए तो एक दूसरे के यहा से एसे लोगों को ले जो सुलाह करा सके और एसे न हो के बात सुन सुना कर पूरे मुहल्ले या गलियों मे चर्चा करे एसे ढोंगियों से परहेज करे इनसे बचे । और मिया बीबी को भी चाहिए के शैतान की चालों मे न आये जितनी जल्दी हो आपसे मे सुलह करे और सिलाह रहमी इख्तियार करे।
(03) माफ करे और सब्र से काम ले – अल्लाह पाक कुरान ए मजीद की सूरह नूर मे इरशाद फरमाता है, ” और माफ करो और दरगुजर करो, क्या तुम पसंद नहीं करते के अल्लाह भी तुम्हें माफ करदे? “( सूरह नूर) मेरे अजीज भाई और मेरी अजीज बहिन माफी एक एसा हथियार है खास कर मिया बीबी के रिश्ते मे,
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जो के आपके बिखरते हुए घर को संभाल सकता है, जो डूबती हुई आपके घर की नाव को दुबारा किनारे पर लगा सकता है बस थोड़ा दिल बड़ा रखे, माफी मांगने से आप छोटे नहीं हो जाओगे लेकिन इससे आपका घर बच जाएगा और आप शैतान को मात दे दोगे ।
हदीस शरीफ की रौशनी मे हल
(01) सबसे अच्छा शख्स कौन है? – अल्लाह पाक के हबीब, हुज़ूर नबी ए रहमत ﷺ ने इरशाद फरमाया, ” तुम मे सबसे बहतरीन वो है जो अपनी बीबी के लिए बेहतर हो और मै अपनी बीबी के लिए सबसे बेहतर हूँ। “( तिरमिजी)
इस हदीस का मतलब ये है के अच्छे अखलाक, नरमी और मोहब्बत से रिश्ते को मजबूत बनाया जाए, इससे हमे सीख मिलती है के न ही बीबी को सबके सामने अपने शोहर से ऊंची आवाज मे बात करनी चाहिए और न ही शोहर को अपनी बीबी से सबके सामने गलत लहजे से बात करनी चाहिए।
(02) खवातीन के साथ नरमी इख्तियार करे – हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया है के, ” औरते पसली की हड्डी की तरह है, अगर तुम सीधा करने जाओगे तो तोड़ दोगे और अगर नरमी से पेश आओगे तो उसी मे भलाई है। “(बुखारी और मुस्लिम)
इस लिए कोशिश यही करे के नमाजों की पाबंद रहे बच्चों की तर्बियत नेकियों के साथ करे और ज्यादा छोटी-छोटी बातो पर उसको डाटना-झपटने से बचे क्योंकि वो भी सब कुछ आपके लिए छोड़ कर आई है और आप चाहे के वो अल्लाह की वालिया बन जाए तो एक साथ ये सब कुछ होना पोसीबल नहीं, वक्त लगता है सोहबत मे डालने मे ।
(03) तलाक दिलवाना शैतान का खास मकसद है – हुज़ूर नबी ए रहमत ﷺ ने इरशाद फरमाया है के, ” शैतान अपने तख्त को पानी पर रखता है और अपने लश्कर को भेजता है .. उन्मे सबसे करीब वो होता है जो मिया-बीबी के बीच जुदाई डलवा दे। “(मुस्लिम)
इस हदीस से मालूम होता है के शैतान को सबसे ज्यादा खुशी इस बात से होती है के जब मिया-बीबी अलग-अलग हो जाए इसलिए कोशिश करे के शैतान अपनी चाल मे कामयाब न हो पाए बल्कि आप शैतान की चाल को पलट दे ।
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झगड़ों का हल ये है –
01) आपसी बातचीत से मसला हल करने की कोशिश करे ।
02) नमाज और दुआ का एहतिराम दोनों ही करे ।
03) एक-दूसरे की बात सुने और समझे ।
04) गुस्से मे फैसला न करे ।
05) बुजुर्गों या काबिल लोगों की सलाह ले ।
06) शैतानी वसवसों से बचे रहे ।
खुलासा ए कलाम ये है के
मिया-बीबी का रिश्ता, सब्र और समझदारी का तलबगार है अगर कुरान और हदीस की रोशनी मे देखे तो इससे ये वाहिद रिश्ता है जो जन्नत मे भी निभाया जाएगा इसका हल फकत नरमी है, मुहब्बत है, तौहीद है, दुरूद और सलाम है और कुरान की सूरह फुरकान की वो आयात है जिसमे रब कहता है,
” ए हमारे रब! हमे हमारी बीवियों और औलाद की तरफ से आँखों की ठंडक अता फरमा..” यानि के मेरे अजीजों गौर करे खुदा खुद कह रहा है के एसे दुआ करो फिर हम दुआ क्यों नहीं करे ! इंशा अल्लाह अगर आप इन बातों पर गौर करोगे तो यकीनन आप अपने घर को झगड़ों से दूर मुहब्बत और जन्नत के बागो मे से एक बाग बना ही लोगे ।