खो गया बचपन, पर वो गलिया आज भी जिंदा है..

खो गया बचपन, पर वो गलिया आज भी जिंदा है..

कहते है के, ” वक्त के साथ सब कुछ बदल गया मगर, बचपन की गलियो का नक्शा आज भी दिल मे है.. ” वक्त जैसे-जैसे गुजरता गया, जिंदगी की जिम्मेदारियों का बोझ कंधों पर चढता गया, खेल के मैदान अब ऑफिस की फ़ाइलों मे खो गए या कहे के परेशानियों ने उनकी जगह ले ली। … Read more

जिंदगी की दौड़ मे कुछ यूँ पीछे छूट गया!

किसी ने लिखा है के, ” जिंदगी की दौड़ मे कुछ यू पीछे छूट गया, बचपन का मुस्कुराना, गली का खेल छूट गया। ” इसका अगर खुलासा ए कलाम किया जाए तो कुछ यूं होगा, इंसान जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, वेसे वेसे ही उसकी जिम्मेदारियो का बोझ उसके कंधों पर चढ़ता जाता है, चाहे … Read more

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